joharcg.com छत्तीसगढ़ को 27 सितंबर को एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाएगा। इस दिन को छत्तीसगढ़ के पर्यटन क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जाएगा। यह सम्मान छत्तीसगढ़ की अनूठी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और पर्यटन के विकास में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए दिया जा रहा है।
छत्तीसगढ़, जो अपनी प्राकृतिक संपदा, ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। यहां के घने जंगल, सुरम्य पहाड़, आकर्षक जलप्रपात, और ऐतिहासिक मंदिर देश और विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। राज्य सरकार और पर्यटन विभाग ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनका सकारात्मक परिणाम अब राष्ट्रीय सम्मान के रूप में सामने आ रहा है।
चित्रकोट और ढूढमारस गांव होंगे सम्मानित
छत्तीसगढ़ में बस्तर, कांगेर घाटी, चित्रकोट जलप्रपात, सरगुजा की गुफाएं, और ऐतिहासिक रतनपुर किला जैसे कई आकर्षण स्थल हैं, जो पर्यटकों को अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं। इसके अलावा, स्थानीय हस्तशिल्प, जनजातीय संस्कृति और यहां के स्वादिष्ट भोजन ने भी पर्यटकों को राज्य की ओर आकर्षित किया है।
राज्य के पर्यटन मंत्री ने इस मौके पर कहा, “यह सम्मान छत्तीसगढ़ के पर्यटन उद्योग के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह हमारे निरंतर प्रयासों और राज्य के अनूठे पर्यटन स्थलों की मान्यता का प्रतीक है। हम आने वाले समय में भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं पर काम करेंगे।”
प्रधानमंत्री मोदी के विजन से प्रेरित छत्तीसगढ़ का पर्यटन क्षेत्र
छत्तीसगढ़ की इस उपलब्धि का श्रेय राज्य के पर्यटन विभाग के साथ-साथ उन स्थानीय लोगों को भी जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र की संस्कृति और धरोहर को संजोए रखने में अहम भूमिका निभाई है। यह सम्मान न केवल राज्य की प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा बल्कि पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि करेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का पर्यटन विकास का विजन
छत्तीसगढ़ पर्यटन की इस सफलता की कहानी यहीं समाप्त नहीं होती। यह केवल शुरुआत है, और इस सम्मान ने राज्य को एक नई ऊर्जा और प्रेरणा दी है। आने वाले वर्षों में, छत्तीसगढ़ अपने पर्यटन क्षेत्र में और भी ऊंचाइयों को छूएगा और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान को और मजबूत करेगा।
चित्रकोट और ढूढमारस की धरोहर
छत्तीसगढ़ के ये दोनों गांव, ढूढमारस और चित्रकोट, राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक संपदा के प्रतीक हैं। चित्रकोट का प्रसिद्ध जलप्रपात, जिसे भारत का नियाग्रा भी कहा जाता है, पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय आकर्षण है। वहीं, ढूढमारस गांव अपने एडवेंचर टूरिज्म के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ पर्यटक रोमांचक गतिविधियों का अनुभव कर सकते हैं।
इन दोनों गांवों का सम्मानित होना राज्य के पर्यटन क्षेत्र के लिए एक विशेष उपलब्धि है। यह न केवल छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं की पहचान को मजबूत करेगा, बल्कि राज्य के पर्यावरणीय पर्यटन को भी नया आयाम देगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ के जनता, अधिकारियों और स्थानीय समुदायों को बधाई दी। उन्होंने कहा, यह पुरस्कार हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरणीय संपदा की विजय है। हमारा लक्ष्य पर्यटन को राज्य की समृद्धि और विकास का प्रमुख साधन बनाना है।