रटंत पद्धति से हटकर अनुपयोगी सामग्री के प्रयोग से विद्यार्थी करेंगे शिक्षाग्रहण

 रायपुर- कोरोना संक्रमण काल में स्कूली बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने और समझ विकसित करने के लिए जशपुर जिले के विकासखंड बगीचा में मिशन कौतूहल की शुरूआत की गई है। इसमें अब रटंत पद्धति से हटकर, अनुपयोगी और बेकार पड़ी वस्तुओं से प्रयोगात्मक शिक्षा के नये आयाम गढ़े जाएंगे। बगीचा के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री रोहित व्यास ने हाल ही में बैठक लेकर सभी सीएसी को विज्ञान पर प्रयोगात्मक पाठ तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिसे शिक्षक और विद्यार्थी के बीच प्रदर्शित किए जा सकें। बेहतर प्रदर्शन के वीडियो क्लिप बनाए जाएंगे। इन वीडियो क्लिप को स्कूल शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इसका लाभ राज्य के अनेक शिक्षक एवं विद्यार्थी भी उठा सकेंगे। 
    जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड में स्कूल शिक्षा विभाग नित नये प्रयोग कर रहा है। विकासखंड में संचालित मोहल्ला क्लास, लाउडस्पीकर क्लास, हारमोनियम क्लास इसके उदाहरण है। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने हाल ही में विकासखंड का दौरा कर यहां की कार्यशैली की काफी तारीफ की थी, वहीं अब नई पहल ‘मिशन कौतूहल’ को शिक्षा के क्षेत्र में एक बेहतर प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। 
क्या है मिशन कौतूहल
    बाल केन्द्रित शिक्षण केन्द्र द्वारा बालकों को सीखने का पर्याप्त अवसर प्रदान करना। गतिविधि आधारित शिक्षण-अधिगम को रूचिकर एवं आनंददायी बनाना। ज्ञान को स्थाई एवं प्रभावी बनाते हुए प्राथमिक शिक्षा की नींव को मजबूत करना। बच्चों में सृजनात्मकता एवं मौलिक चिंतन का विकास करना। बच्चों के स्तर के अनुरूप शिक्षण योजना अनुसार शिक्षण कार्य करते हुए शैक्षणिक प्रगति लाना। छात्रों को संज्ञानात्मक एवं व्यक्तित्व विकास का अवसर प्रदान करना। बालक के गुणात्मक विकास के साथ-साथ नामांकन एवं ठहराव में वृद्धि करना। बच्चों की प्रगति को अभिभावकों के साथ साझा करना। बेकार एवं अनुपयोगी वस्तुओं के प्रयोग से बच्चों को अध्यापन कराना है। 

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