Yash is advancing the skills found by forefathers
माटी कला बोर्ड की पहल: कुम्हार बना रहे इलेक्ट्रिक चॉक पर कलात्मक वस्तुएं 

रायपुर – इलेक्ट्रिक चॉक पर मास्टर यश न केवल पुरखों से मिले हुनर को आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि लोगों की जरूरत के अनुसार नई-नई वस्तुओं का निर्माण कर रहे हैं। राजधानी के रायपुरा में रहने वाले यश को मिट्टी से कलात्मक वस्तुएं बनाने का हुनर उनके पुरखों से मिला है। वह अपने पिता और परिवार के सदस्यों के साथ लोगों की मांग के अनुरूप सजावटी वस्तुएं तैयार कर तीज-त्योहारों में नया रंग भर रहे हैं। मास्टर यश यह सब वह अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए कर रहा है। 

मास्टर यश के पिता श्री दिनेश चक्रधारी बताते हैं कि उनका बड़ा सुपुत्र यश नियमित रूप से बड़े ही लगन से इस कार्य को करता है। वे बताते हैं कि परिवार के सभी सदस्य मिट्टी के नांदिया बैल, खिलौने, जांता, पोरा, चूल्हा, चुकिया, बेलन, चौकी, कढ़ाई, ढंकना, थाली, चाय के कप-प्लेट और दिए आदि का निर्माण करते हैं। उन्होंने बताया कि दिए की मांग पूरे वर्ष पर बनी रहती है जिसे यश द्वारा तैयार किया जाता है और बाकी अन्य सामग्री घर के लोगों के द्वारा बनाई जाती है। 

श्री चक्रधारी बताते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजधानी सहित सभी जिलों में ग्लेजिंग यूनिट लगाने की पहल प्रदेश के कुम्हार समुदाय के लिए बड़ी सौगात है। माटी कला बोर्ड द्वारा कुम्हारों को परम्परागत चॉक की जगह इलेक्ट्रिक चॉक दिया जा रहा है, इससे कुम्हारों को काफी सुविधा मिल रही है। इस चॉक से मेहनत कम लगती है। वस्तुएं भी तेजी से बनती हैं। राजधानी में ग्लेजिंग यूनिट लगने से रायपुरा के लगभग 200 कुम्हार परिवारों को उनके द्वारा तैयार की गई वस्तुओं का बेहतर मूल्य मिलेगा। इससे नई-नई सजावटी वस्तुएं तैयार कर वर्ष भर आमदनी ले सकेंगे। 

उल्लेखनीय है कि राज्य शासन की मंशा के अनुरूप ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रूद्रकुमार की पहल पर कुंभकारों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के बेहतर प्रयास छत्तीसगढ़ माटीकला बोर्ड द्वारा की जा रही है। बोर्ड द्वारा संचालित योजनाओं की सराहना करते हुए श्री दिनेश चक्रधारी कहते हैं कि कुम्हारों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं परंपरागत व्यवसाय को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने में सरकार हर संभव प्रयत्न कर रही है।