हनुमान मंदिर, गुढ़ियारी
Shree Hanuman Mandir Gudiyari
Shree Hanuman Mandir Gudiyari राजधानी में एक हनुमान मंदिर ऐसा भी है, जो इतिहास में रायपुर की धार्मिक संपन्नता का प्रतीक है। आज भी हर मंगलवार यहां पूजा के लिए शहरवासियों के अलावा दूर-दराज के गांवों से लोग पहुंचते हैं। गुढ़ियारी पड़ाव स्थित हनुमान मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि 400 साल पहले यहां हनुमान की स्वयंभू प्रतिमा दिखी थी। तब से यहां पूजा हो रही है।
जानें प्राचीन हनुमान मंदिर के बारे में.
इतिहासकारों के मुताबिक पहले रायपुर कपास मंडी के लिए जाना जाता था। दूर-दूर से लोग कपास खरीदने यहां पहुंचते थे। गुढ़ियारी भी प्रमुख मंडियों में से एक थी। भगवान हनुमान के स्वयंभू प्रतिमा ख्याति काफी दूर तक फैली थी। बाहरी राज्यों से भी खरीदारी करने आने वाले व्यापारियों में इस प्रतिमा को लेकर इतनी आस्था थी कि वे पहले रुककर भगवान की पूजा करते, उसके बाद ही खरीदारी करते थे। इस तरह काफी पहले से यहां भगवान हनुमान की पूजा हो रही है। खास मौकों पर यहां विशेष अनुष्ठान भी कराए जाते है। एेतिहासिक के साथ धार्मिक महत्व के चलते भी यह मंदिर आकर्षण का केंद्र है।
दूधाधारी मठ को लेकर भी यही मान्यता
दूधाधारी मठ में 1550 में हनुमान जी की प्रतिमा बनवाई गई थी। मराठा राजाओं ने इसका निर्माण करवाया था। पहले महंत बलभद्र दास थे। वे सिर्फ दूध का आहार लेते थे। उन्हीं के नाम पर यहां का नाम दूधाधारी मठ पड़ा है। यहां भी रामजानकी की प्रतिमा के साथ भगवान हनुमान की प्रतिमा विराजित है। इसे भी लेकर लोगों की मान्यता है कि रामजानकी के दर्शन के लिए हनुमान भगवान की प्रतिमा की दिशा बदली थी। पहले यह दूसरी तरह से स्थापित की गई थी।
पहले सीधी थी प्रतिमा, बाद में मुड़ी
प्राचीन समय से ऐसी मान्यता रही है कि जहां हनुमान होते हैं, वहां रामजानकी या भगवान शंकर की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। यहां के स्थानीय लोगों ने भी यहां रामजानकी की प्रतिमा का निर्माण करवाया। माना जाता है कि रामजानकी की प्रतिमा स्वयंभू हनुमान के ठीक सामने न होकर थोड़ी दाईं ओर थी। बाद में स्वयंभू हनुमान की प्रतिमा भी दाईं ओर झुक गई। हालांकि इसका कोई पुरातात्विक या दूसरा प्रमाण नहीं है, लेकिन स्थानीय लोग यही मानते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ रामजानकी और हनुमान की पूजा करते हैं।
इसलिए नाम पड़ा मच्छी तालाब
लोगों का मानना है कि हनुमान मंदिर के पास स्थित तालाब के आसपास पेड़ थे। बाहर से आने वाले आम लोग और व्यापारी इन्हीं पेड़ों की छांव में आराम करते थे। शहर के बाकी तालाबों की तुलना में यहां के तालाब में ज्यादा मछलियां पाई जाती थीं। दूसरी मान्यता भी है कि यहां की मछलियों में औषधीय गुण होते थे। इन्हीं मान्यताओं के चलते तालाब का नाम मच्छी तालाब पड़ा। जहां हनुमान की प्रतिमा होती है, वहां रामजानकी या शंकर भगवान की मूर्ति स्थापित करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। इसके बाद स्थानीय लोगों ने यहां रामजानकी की प्रतिमा का निर्माण करवाया।