रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई गोधन न्याय योजना ग्रामीणों के रोजगार और आय का एक बढ़िया माध्यम बनते जा रही है। ग्रामीण अंचल में इस योजना को लेकर लोगों में अच्छा खासा उत्साह है। इस योजना के जरिए राज्य में पशुधन की देखभाल को लेकर जहां एक ओर लोगों में जागरूकता आई है, वहीं दूसरी ओर अब पशुधन से मिलने वाला गोबर लोगों की आमदनी का जरिया भी बन गया है। गोधन न्याय योजना शुरू होने से गौठानों की रौनक बढ़ गयी है। महिला समूह सुबह से शाम तक गोबर खरीदी और इसके माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट खाद के निर्माण में जुटी रहती हैं। वर्मी कम्पोस्ट खाद की हाथों-हाथ बिक्री और इससे महिला समूह को होने वाले मुनाफे ने शासन की सुराजी गांव योजना के तहत निर्मित गौठानों और गोधन न्याय योजना की सार्थकता को स्वमेव प्रमाणित किया है।

      छत्तीसगढ़ राज्य के मैदानी जिले हों या सुदूर वनांचल के जिले, सभी जगह गोधन न्याय योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ग्रामीणों की माली हालत में सुधार का सबब बनते जा रही है। राज्य के सीमावर्ती सूरजपुर जिले में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना के माध्यम से गौठानों में पर्याप्त मात्रा में गोबर की आवक को देखते हुए वहां की स्वयं सहायता समूहों द्वारा वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। आदर्श गौठान ग्राम पंचायत केशवनगर में शिव महिला ग्राम संगठन की महिलाओं ने कृषि विभाग से विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त कर वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम शुरू किया है। केशवनगर गौठान में 86.13 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। इससे वर्मी खाद तैयार की जा रही है। जिले के गौठानों में महिला समूहों द्वारा उत्पादित वर्मी खाद को सुराजी सूरजपुर ब्रांड नाम से किसानों एवं उद्यानिकी विभाग की नर्सरी एवं वन विभाग को सप्लाई की जा रही है। इस योजना के स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को गांव में ही रोजगार मिला है और उनकी आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे बेहतर होने लगी है।

45 replies on “गोधन न्याय योजना ग्रामीणों के रोजगार और आय का साधन बनी : महिला समूह कर रही वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन”