In accordance with the intention of CM the initiative to make farmers happy through integrated farming in Chhattisgarh
फसल उत्पादन के साथ सब्जी-भाजी, बकरी एवं कुक्कुट पालन को मिल रहा बढ़ावा   

रायपुर – मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य में किसानों को खुशहाल और उनकी आय में वृद्धि के लिए समन्वित कृषि प्रणाली को बढ़ावा दिए जाने की कारगर पहल की जा रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्रों के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रुप से राज्य के सभी जिलों में समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न जोत वाले किसानों के लिए एक हेक्टेयर, 2 हेक्टेयर एवं 3 हेक्टेयर रकबा का सिंचित एवं असिंचित मॉडल तैयार किया गया है। जिसमें फसल उत्पादन के साथ-साथ कुक्कुट पालन, बकरी पालन, मछली पालन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर उनकी आय को दोगुने करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। फसल विविधीकरण के अंतर्गत उच्च भूमि में लाख की खेती एवं प्राथमिक प्रसंस्करण हेतु कृषकों को आवश्यक मार्गदर्शन दिया जा रहा है। टपक एवं सामूहिक सिंचाई, सामूहिक विपणन जैसी तकनीकों के माध्यम से सब्जी एवं अन्य उद्यानिकी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही विभिन्न फसलों के बीज उत्पादन, वर्मी कंपोस्ट खाद का निर्माण, मशरूम उत्पादन, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें आजीविका की गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। शासन की विभिन्न योजनाओं जैसे कौशल विकास, जल प्रबंधन कार्य, हरित क्रांति विस्तार, मनरेगा ,आदिवासी उपयोजना और खनिज न्यास निधि के माध्यम से अभिकरण कर प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं आजीविका संवर्धन के उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैं जिससे ग्रामीण अंचल में खेती-किसानी समृद्ध और किसान खुशहाली की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया, कांकेर, राजनांदगांव, दुर्ग, कोरबा, बिलासपुर से लेकर सुदूर वनांचल के जिलों में भी समन्वित खेती से ग्रामीण अंचल के किसानों के जीवन में खुशहाली का एक नया दौर शुरू हुआ है। कांकेर जिले के लगभग 25 ग्रामो में विभिन्न प्रक्षेत्र परीक्षण, अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन, कृषकों, कृषक महिलाओं, ग्रामीण युवकों को समसामयिक एवं ‘‘आवश्यकता आधारित’’ कौशल दिया जा रहा है। जिले के कृषि एवं संबंधित विभागों के मैदानी स्तर के अधिकारियों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण का आयोजन कर उन्हे नवीन तकनीकी से अवगत कराया जा रहा है। जिले में कृषि की नवीन तकनीक के साथ-साथ किसानों के आय में वृद्धि एवं आजीविका संवर्धन हेतु समन्वित कृषि प्रणाली, पोषण सुरक्षा, फसल विविधीकरण, कृषि यंत्रीकरण, सूक्ष्म सिंचाई पद्धति, उन्नत नस्ल के कुक्कुट कड़कनाथ के प्रजनन एवं उत्पादन का कार्य शुरू किया गया हैं। इसके लिए कृषि विज्ञान केन्द्र में कड़कनाथ कुक्कुट की हैचरी इकाई, ग्रेडेड सिरोही नस्ल की बकरी इकाई, गीर एवं साहिवाह नस्ल की डेयरी इकाई, बटेर पालन इकाई, मत्स्य सह बतख पालन इकाई, वर्मीकम्पोस्ट इकाई, पोषण वाटिका, फलदार पौधे उत्पादन इकाई स्थापित हैं।

कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा वर्ष 2015 में पोषण सुरक्षा एवं आय हेतु आदर्श पोषण वाटिका की अवधारणा स्थापित की गई, जिसमें विभिन्न सब्जियों के उत्पादन का ऐसा क्रम तैयार किया गया जिससे वर्षभर प्रतिदिन ताजी सब्जी उपलब्ध हो सके। इस पोषण वाटिका को सर्वप्रथम 70 आवासीय स्कूलों में विस्तार किया गया तत्पश्चात् सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में विस्तार हुआ। कुक्कुट की कड़कनाथ नस्ल जो कि अद्वितीय गुणों से भरपूर है। इस नस्ल की केन्द्र में कृत्रिम हैचरी  स्थापित कर अब तक लगभग 2 लाख नग से अधिक चूजों का उत्पादन किया जा चुका है, जिसका विस्तार कांकेर जिले सहित छत्तीसगढ़ राज्य के 25 अन्य जिले एवं 4 अन्य राज्यों में हुआ है।

जिले में लगभग 80 से अधिक कृषकों के यहां समन्वित कृषि प्रणाली मॉडल विभिन्न परियोजनाओं के अभिसरण से स्थापित किया गया है। फसल विविधीकरण के अंतर्गत उच्चहन भूमि में लाख की खेती एवं प्राथमिक प्रसंस्करण हेतु कृषकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में 25 से अधिक कृषक सेमियालता में लाख उत्पादन का कार्य कर रहे हैं एव विज्ञान केन्द्र में स्थापित प्रसंस्करण इकाई से लाख का प्राथमिक प्रसंस्करण कर रहे हैं।

कृषि यंत्रीकरण के अंतर्गत धान एवं अन्य फसलों की कतार बोनी एवं प्रसंस्करण को प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है। जिले में किसानों को नीवनतम किस्मों के दलहनी फसलों के बीज उपलब्ध कराने के दलहनी फसलों का बीज प्रक्रिया केन्द्र स्थापित किया गया है, जिसमें कृषक सहभागिता से बीज उत्पादन किया जाता है,जिसका वितरण विभागीय योजनाओं के माध्यम से जिले के किसानों को किया जाता है।