कवर्धा – जिले के सूपखार जंगल में नक्सलियों ने वन अमले के समर्थन में नक्सल पर्चे छोडक़र अपनी चहल-कदमी का अहसास कराया है। यह इलाका वन्य प्राणियों के लिए अनुकूल माना जाता है। लिहाजा सूपखार क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही रहती है। हालांकि लॉकडाउन के दौरान यह क्षेत्र पर्यटन के लिए बंद है। नेशनल पार्क कान्हा किसली रेंज से सटे होने की वजह से बाघ, तेन्दुआ, हिरण, सोन कुत्ता समेत अन्य प्रजाति के वन्य प्राणी सूपखार इलाकेे में पहुंचते हैं। सूपखार को पर्यटन के लिहाज से काफी विकसित किया गया है। इधर नक्सलियों ने वन्य प्राणियों के समर्थन में नक्सल पर्चा फेंककर कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर के तौर पर कार्य लिए जाने पर आपत्ति की है। वहीं जंगल के संसाधनों का अनुचित तरीके से दोहन किए जाने पर भी नक्सलियों ने विरोध जताया है। कान्हा-भोरमदेव डिवीजन कमेटी द्वारा फेंके गए पर्चे में नक्सलियों ने टूरिस्ट गाईड और ड्राईवरों तथा पर्यटन क्षेत्र से जुड़े मजदूरों के लिए क्रमश: 600, 800 और 500 रुपए का मेहनताना देने की मांग की है। नक्सलियों ने पर्चा में जंगल से सटे गांवों की जनता के लिए रोजगार मुहैया कराने की भी मांग की है। खास बात यह है कि नक्सलियों ने पहली बार सरकार के महत्वपूर्ण विभाग वन महकमे के कर्मियों का शोषण करने पर आलाधिकारियों को धमकाया है। पर्चे में वन विभाग से जुड़े कई मामलों को पूरा करने के लिए नक्सलियों ने दबाव बनाया है।

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