छत्तीसगढ़ राज्य के सुदूर वनांचल क्षेत्रों में समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज की खरीदी जोरों पर चल रही है। सुकमा जिले के हाट बाजारों में इसकी खरीदी स्वसहायता समूहों और वन समितियों के माध्यम से की जा रही है, इससे वनवासियों को कोरोना संकट के दौरान अपने दैनिक जरूरतों के लिए आर्थिक संकट झेलना नहीं पड़ रहा है।

           लघुवनोपज संग्रहण कार्य से जुड़े ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना संकट के समय में लघुवनोपज की खरीदी से उन्हें काफी राहत मिली है। उन्हें लघु वनोपज का वाजिब दाम मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा लॉक डाउन के दौरान वनवासियों को आय का जरिया उपलब्ध कराने के लिए वनांचल क्षेत्रों में समर्थन मूल्य पर 25 प्रकार के लघु वनोपजों की खरीदी की जा रही है। इसके अलावा महिला स्व सहायता समूहों को प्रसंस्करण कार्य से भी जोड़ा जा रहा है।

        सुकमा जिले में अब तक 8671 क्विंटल से अधिक लघु वनोपज की खरीदी की जा चुकी है, वहीं इसके लिए दो करोड़ 57 लाख रूपए से अधिक का भुगतान संग्राहकों को किया जा चुका है। समर्थन मूल्य पर खरीदी के कारण अनेक लघु वनोपजों के बाजार मूल्य में वृद्धि देखी जा रही है। इस क्षेत्र में बहुतायत में पाई जाने वाली इमली का खरीदी बाजार मूल्य 35 रूपए प्रति किलो तक देखा गया, जबकि समर्थन मूल्य 31 रूपए प्रति किलो निर्धारित था। इसी तरह महुआ का खरीदी बाजार मूल्य 37 से 38 रूपए प्रति किलो तक देखा गया, जबकि इसका समर्थन मूल्य 30 रूपए प्रति किलो निर्धारित था।

    समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज की खरीदी के लिए ग्राम स्तर पर 64, बाजार स्तर पर 26 समूह के साथ चार वन-धन केन्द्रों में 40 समूह कार्य कर रहे हैं। खरीदी कार्य से प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति और 130 स्वसहायता समूहों के 1390 महिला सदस्य जुड़े हैं। इनकेे माध्यम से चरौटा बीज, बेहड़ा, हर्रा, करंज बीज, इमली, धवई फूल, कांटा झाडू, महुआ फूल, भेलवां बीज, इमली बीज, चिरौंजी गुठली आदि क्रय किया जा रहा है।

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