कृषि संचालनालय और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को मौसम आधारित सामयिक सलाह दी गई है कि किसान कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सर्तक सजग और सावधान रहे। भीड़ वाली जगह पर नही जाए। खेतो में पर्याप्त मात्रा में साबुन, डिटर्जेंट और पानी रखें। पानी एवं खाने वाले बर्तनों को साबुन एवं डिटर्जेंट वाले पानी से अच्छी तरह से साफ करें। अनाजों को धूप में अच्छी तरह से सुखाकर भण्डारण करें।

खेत की गहरी जुताई करें, जिससे मृदा जनित खरपतवार, बीमारी एवं कीड़ों के अंडे नष्ट हो जाए। हायब्रिड नेपियर बहुवर्षीय चारे वाली फसल की 50-60 दिनों के अंतराल पर जमीन की सतह से 15 से.मी. ऊपर कटाई करें। कटाई पश्चात हल्की सिचाई कर 25-30 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। ग्रीष्मकालीन मूंग अभी पकने की अवस्था में हैं, फसल के पकते ही काटने की सलाह दी जाती है जिससे झड़ने से बचाया जा सके। गन्ने की नई फसल में आवश्यकतानुसार निंदाई-गुडाई एवं सिंचाई करें।


    इसी तरह सब्जी और फलों की फसलों में टमाटर, बैंगन, मिर्च, भिन्डी एवं अन्य सब्जी वाली फसल में निंदाई गुडाई करे एवं आवश्कतानुसार सिंचाई कर नत्रजन उर्वरक की मात्रा दे। वातावरण में तापमान को देखते हुए सिंचाई की दर बढा दे। धूप के कारण केला तथा पपीते के फलों एवं पत्तियों के झुलसने की संभावना रहती है, इसके बचाव के लिए किसान भाइयों को सलाह है कि फलों को पट्टियाँ या बोरों से ढंक दे। इसके अलावा पौधों को गर्म हवा से बचाने के लिए वायु अवरोधक का उपयोग करें। आम, नीबूं वर्गीय एवं अन्य फसलों में सिचाई प्रबंधन करें। नये फल उद्यान हेतु तैयारी करें, फलदार वृक्षों हेतु निर्धारित दूरी पर गड्डे खोदकर छोड़ दे।


    किसान अपने पशुओं में होने वाली बीमारियों के लिए तुरंत पशुचिकित्सक से संपर्क कर अपने मवेशियों को गलघोटू एवं लंगड़ी रोग का टीकाकरण करवाये। पशुओ को लू लगने पर छायादार जगह ले जाकर गीले कपड़े से पूरे शरीर को बार-बार पोछे। पशु बाड़े को हवादार बनाये एवं गीले बारदाने लटकाकर ठंडा रखे। पशुओं को निर्जलीकरण से बचाने के लिए एक लीटर पानी में चार-पांच चम्मच शक्कर एवं एक चौथाई चम्मच नमक का घोल बनाकर हर आधा एक घंटे में पिलाएं।