छात्रा सविता सलाम ने बच्चों को शिक्षित करने का उठाया बीड़ा

नारायणपुर– आज संपूर्ण भारत कोरोना वायरस से डरा हुआ है, ऐसे समय में बच्चों का घर में रहकर पढ़ाई करना ग्रामीण अंचलों के लिए बहुत ही परेशानियों का सबब बना हुआ है। ख़ासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में ऑनलाईन पढ़ाई में दिक्कत आती है क्योंकि नारायणपुर जिले की विषम भौगोलिक परिस्थिति के बीच बसे गाँव में नेटवर्क की समस्या हमेशा बनी रहती है। इस विश्वव्यापी संकट के दौर में पढ़ने वाले बच्चों की जिन्दगी स्थिर हो गई है। सरकार, अभिभावकों और शिक्षकों को अब उनकी शिक्षा की निरन्तरता की चिन्ता सताने लगी है। राज्य शासन द्वारा इस समस्या को दूर करने हर सम्भव प्रयास कर रही है। बच्चों तक शिक्षा की अलख जगाने एवं बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने हेतु पढई तंुहर दुआर जैसे महत्वकांक्षी योजना का क्रियान्वयन पूरे प्रदेश में किया जा रहा है।

नारायणपुर विकासखण्ड अन्तर्गत स्वामी आत्मानंद महाविद्यालय कुम्हारपारा नारायणपुर की छात्रा कुमारी सविता सलाम को पढ़ाई तुंहर दुआर पोर्टल मे हमारे नायक बनाये गये हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते महाविद्यालय बंद होने के कारण छात्रा घर में ही रककर पढ़ाई कर रही थी। तब उसे राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के बारे में पता चला। जिसमें वे अपने मोहल्ले के बच्चों को मोहल्ला क्लास के माध्यम से पढ़ाने का बीड़ा उठाया। सविता लगभग 45 दिनों से बच्चांे को शिक्षा प्रदान करने का सराहनीय काम कर रही है। चर्चा करने पर सविता ने बताया कि वह अपने मोहल्ले में पढ़ने वाले प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों को पढ़ाती है। इस दौरान वे विद्यार्थियों को सोशल डिसटेसिंग का पालन भी कराती है। उनकी कक्षा में विद्यार्थी बड़े उत्साह से पढ़ाई करते हैं। कक्षा के बाद विद्यार्थियों को होमवर्क भी दिया जाता है। जिसे विद्यार्थी सफलतापूर्वक पूर्ण कर उन्हें अगले दिन कक्षा में दिखाकर जांच कराते हैं।

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के पहल से इस विषम परिस्थिति में भी बच्चों तक शिक्षा की अलख जगाने एवं बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने हेतु पढई तंुहर दुआर जैसे महत्वकांक्षी योजना का क्रियान्वयन पूरे राज्य के स्कूलों मंे करते हुये बच्चों तक बेहतर शिक्षा पहुंचाने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है। इस अभियान की सफलता में कई चुनौतियां है। मसलन एन्ड्राइड मोबाइल, मोबाइल डाटा आदि की उपलब्धता घर में ये साधन हो भी तो बच्चों के लिए इनकी उपलब्धता और सबसे बड़ी बात समाज और अभिभावकों की सहभागिता। राज्य शासन द्वारा अब ऑनलाइन पढ़ाई के अतिरिक्त वैकल्पिक व्यवस्था गांव और मोहल्ले में समुदाय की सहायता से बच्चो की सीखने की व्यवस्था, लाउडस्पीकर तथा बुलटू के बोल के माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था करने के निर्देश मिले थे। जिससे बच्चों को ऑनलाइन के बिना भी शिक्षा उपलब्ध हो सके।

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