Seeing the design from the internet, the women of the group are making attractive ashes

रायपुर – भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के त्यौहार रक्षाबंधन में बहनें भाईयों की कलाईयों पर उनकी मंगलकामना के साथ रक्षासूत्र बांधती हैैंं। इस अवसर पर हर साल राखियों का अच्छा व्यापार होता है। इस साल कोविड-19 वायरस संक्रमण के कारण लगाई जा रही निषेधाज्ञा के कारण कहीं राखियों की सप्लाई में कमी आई है और कहीं दुकान भी नहीं लगी है। ऐसे समय में बलरामपुर जिले में स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने खुद राखी बनाने का कार्य प्रारम्भ किया है। ये महिलाएं इंटरनेट के माध्यम से भी डिजायन देखकर अलग-अलग तरह की राखियां बना रही हैं। बाजार में इन स्थानीय राखियों को अच्छा प्रतिसाद भी मिल रहा है। 

राज्य सरकार भी स्थानीय स्तर पर राखी बनाने का जोर दे रही है जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने के साथ आत्मनिर्भरता आ सके। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की सहायता से विकासखण्ड राजपुर की ग्राम पंचायत भिलाईखुर्द की नवा अंजोर स्व-सहायता समूह की महिलाएं राखी निर्माण कर रही हैं। इन राखियों की मांग अब स्थानीय स्तर पर बढ़ने लगी है। समूह की श्रीमती कलेश्वरी और सुश्री बिनिता बेक बताती हैं कि उनके समूह में 8 महिलाएं हैं, जनपद पंचायत द्वारा प्रोत्साहित किये जाने पर उन्होंने राखी बनाने का निर्णय लिया। राखी के निर्माण में वह स्थानीय चीजों का इस्तेमाल करती हैं। इससे कम लागत में राखियां तैयार हो जाती हैं और लोगों को 5 रूपए से लेकर 100 रूपए के वाजिब दाम में राखियां उपलब्ध हो जाती हैं। उन्होंने 5 हजार राखी बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि अब स्थानीय व्यापारी भी राखी खरीदने के लिए उनके पास पहुंचने लगे हैं। 

स्थानीय व्यापारी श्री विष्णु गर्ग ने बताया कि इस वर्ष कोविड-19 संक्रमण के कारण लॉकडाउन होने से उन्हें उम्मीद कम थी कि राखी का व्यापार वह अच्छी तरह कर पाएंगे लेकिन जब उन्हें पता चला कि गांव की महिलाएँ अपने हुनर से राखी तैयार रही हैं तो सुनकर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने बताया कि वह महिलाओं से राखी खरीद कर बाजार में बेच रहे हैं। जनपद पंचायत राजपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने महिलाओं को प्रशासन द्वारा हर संभव मदद करने की बात कही है। उन्होंने अपने स्टॉफ सहित अन्य शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों को भी समूहों से राखी खरीदने को कहा है जिससे महिलाओं का हौसला बढ़ाया जा सके।