रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना ग्रामीण अंचल के लोगों की पसंदीदा योजना बन गई है। इसके जरिए गांवों में रोजी-रोजगार से नये अवसर पैदा हुए हैं। सुराजी योजना के तहत गांव में निर्मित गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण सहित अन्य आयमूलक गतिविधियों को अपनाकर ग्रामीणजन विशेष महिला स्व-सहायता समूह स्वावलंबन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। सुराजी योजना गांव में स्वावलंबन का आधार बनते जा रही है। इस योजना के चारो घटक नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी के उन्नयन से गांव और ग्रामीणों की तस्वीर और तकदीर बदलने लगी है। नवगठित जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में भी सुराजी योजना का लाभ ग्रामीणों को मिलने लगा है। मरवाही विकासखण्ड के ग्राम गुल्लीडांड में निर्मित गौठान वहां कार्यरत ममता महिला स्वसहायता समूह के लिए वरदान साबित हो रही है। ममता समूह की महिलाएं गौठान में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार कर इससे अच्छा खासा मुनाफा कमाने लगी है। 
    गुल्लीडांड गौठान में कृषि विभाग के सहयोग से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए 15 पक्के टांके का निर्माण कराये जाने के साथ ही 5 वर्मी बेड भी प्रदाय किया गया है, जिसके माध्यम से वहां की महिला स्वसहायता समूह द्वारा लगातार वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार एवं विक्रय की जा रही है। महिला समूहों द्वारा अब तक उत्पादित 193 क्विंटल वर्मी खाद में से 147 क्विंटल खाद वन, उद्यानिकी विभाग सहित आसपास के किसानों ने क्रय किया है, जिससे महिला स्वसहायता समूह को एक लाख 40 हजार रूपए की आमदनी हुई है। वर्मी खाद निर्माण से हुई आमदनी से प्रोत्साहित होकर ममता महिला स्वसहायता समूह ने अपनी आयमूलक गतिविधियों को विस्तार भी दिया है। अब वह शिशु पोषण आहार भी तैयार कर महिला बाल विकास विभाग को प्रदाय करने लगी हैं। इससे उनकी आमदनी में और इजाफा हुआ है। समूह की महिलाएं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को सुराजी गांव योजना शुरू करने के लिए उनका आभार जताते हुए कहा है कि इससे गांव और ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति बेहतर होने के साथ ही उन्हें गांव में ही रोजगार मिलने लगा है

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