The magic of Chhattisgarh's musical instruments on the Rajpath of New Delhi
The magic of Chhattisgarh’s musical instruments on the Rajpath of New Delhi

रायपुर – देश के लोगों ने आज नई दिल्ली के राजपथ पर छत्तीसगढ़ के पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर आधारित निकली झांकी को न केवल बड़ी उत्सुकता के साथ देखा बल्कि इसकी उन्मुक्त कंठो से सराहना भी की। यह झांकी नेशनल मीडिया के साथ ही लोगों के दिलो-दिमाग में छा गई। गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर आधारित राज्य की झांकी देश भर के लोगों का आकर्षण का केन्द्र बनी वहीं यह सोशल मीडिया पर भी छायी रही। देश के विभिन्न हिस्सों से लगातार इसको सराहना मिल रही है।

नेशनल मीडिया टाइम्स नाउ ने अपने ट्विटर हेण्डल में इसकी सराहना करते हुए लिखा है कि भारत की सांस्कृतिक विविधता आज पूरे वैभव के साथ राजपथ पर दिखी। हिन्दुस्तान टाईम्स ने लिखा कि झांकी में छत्तीसगढ़ की समृद्ध आदिवासी नृत्य और संगीत परम्परा को प्रदर्शित किया गया। फाइनंेशियल एक्सप्रेस ने अपने ट्विटर हेण्डल में लिखा कि छत्तीसगढ़ राज्य की झांकी में संगीत के विविध वाद्य यंत्रों को बहुत खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया है।

गौरतलब है कि यह झांकी छत्तीसगढ़ जनसम्पर्क विभाग के द्वारा तैयार की गई है। इस झांकी के निर्माण के लिए पिछले दो माह से तैयारी की जा रही थी। कई प्रस्तावों पर विचार करने के बार इस झांकी का निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ की झांकी में छत्तीसगढ़ के लोक संगीत का वाद्य वैभव को प्रदर्शित किया गया है। छत्तीसगढ़ के जनजातीय क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाले लोक वाद्यों को उनके सांस्कृतिक परिवेश के साथ बडे़ ही खूबसूरत ढंग से इसे दिखाया गया है। प्रस्तुत झांकी में छत्तीसगढ़ के दक्षिण में स्थित बस्तर से लेकर उत्तर में स्थित सरगुजा तक विभिन्न अवसरों पर प्रयुक्त होने वाले लोक वाद्य शामिल किए गए हैं। इनके माध्यम से छत्तीसगढ़ के स्थानीय तीज त्योहारों तथा रीति रिवाजों में निहित सांस्कृतिक मूल्यों को भी रेखांकित किया गया है।

झांकी के ठीक सामने वाले हिस्से में एक जनजाति महिला बैठी है जो बस्तर का प्रसिद्ध लोक वाद्य धनकुल बजा रही है। धनकुल वाद्य यंत्र, धनुष, सूप और मटके से बना होता है। जगार गीतों में इसे बजाया जाता है। झांकी के मध्य भाग में तुरही है। ये फूँक कर बजाया जाने वाला वाद्य यंत्र है, इसे मांगलिक कार्यों के दौरान बजाया जाता है। तुरही के ऊपर गौर नृत्य प्रस्तुत करते जनजाति हैं। झांकी के अंत में माँदर बजाता हुआ युवक है। झांकी में इनके अलावा अलगोजा, खंजेरी, नगाड़ा, टासक, बांस बाजा, नकदेवन, बाना, चिकारा, टुड़बुड़ी, डांहक, मिरदिन, मांडिया ढोल, गुजरी, सिंहबाजा या लोहाटी, टमरिया, घसिया ढोल, तम्बुरा को शामिल किया गया है।