Mandeep Khol Thakur Tola

Mandeep Khol Thakur Tola यहां प्राकृतिक गुफा एवं पानी का स्त्रोत है ।

कवर्धा मार्ग पर गंडई से पैलीमेटा और फिर ठाकुरटोला होते हुए जंगल का पथरीला रास्ता। हजारों श्रद्धालु हर बरस अक्षय तृतीया के पहले सोमवार को इसी रास्ते आस्था का सफर तय करके पहुंचते हैं। मंढीप खोल। गुफा जो किसी भूल भुलैया से कम नहीं। मंढीप खोल के लिए असली सफर शुरू हुआ ठाकुर टोला के बाद। लगभग 17 किमी ही बचे होंगे। पथरीला रास्ता शुरू हुआ। इस रास्ते पर 16 बार एक ही पहाड़ी नदी पार करनी पड़ी। कहीं घुटनों तक पानी तो कहीं सूखी नदी में नुकीले पथरों का रोड़ा।

पहाड़ पर कुछ चढ़ाई के बाद श्वेत गंगा (छोटे कुंड) में स्नान और पूजा पाठ। फिर लगभग आधा किमी से ज्यादा की चढ़ाई जो पत्थरों के सहारे पूरी हुई। तब आया मंढीप बाबा की गुफा का द्वार। बीच में एक बड़ा सा पत्थर जिसने तीन फीट के रास्ते को दो भागों में बांट दिया।

चमकदार पत्थर आकर्षण का केंद्र

कई रहस्यों को समेटे गुफा में कुछ ऐसे पत्थर हैं जो प्रकाश में हीरे के समान चमकते हैं। ये पत्थर लोगों को काफी आकर्षित करते हैं। इन पत्थरों को देखने भी लोगों की भीड़ जुटी रहती है। यहां का शिव लिंग का मंदिर और चमगादर खोल गुफा को सबसे पवित्र माना जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए बास या लकड़ी की सीढ़ी का उपयोग करना पड़ता है।

प्रवेश से पहले गौरी मंदिर में पूजा

मंढीपखोल गुफा में जाने से पहले श्रद्धालु यहां स्थापित मां गौरी और दक्षिण मुखी हनुमान के दर्शन करते हैं। इन मंदिरों में दर्शन करने व पूजा अर्चना के बाद गुफा के अंदर विराजित शिव के दर्शन करते हैं। तभी इस यात्रा को पूर्ण माना जाता है। गुफा के अंदर पवित्र कुंड भी है, जिसे श्वेत गंगा भी माना जाता है। मान्यता है कि कुंड में स्नान करने से चर्म रोग मिटते हैं।

राजनांदगांव शहर से दूरी – 85 किलोमीटर

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