Kankali Mata
Kankali Mata विराटनगर से निकली तीन बहनों में एक बसी कनेरी में…
Kankali Mata बालोद। जिले के गुरुर ब्लाक के ग्राम कनेरी में स्थापित कंकालिन मन्दिर में भक्तों की आस्थाएं जुडी है। कहते हैं जो भी भक्त इस मंदिर की चौखट पर आया वो खाली नहीं गया। माँ ने उनकी झोली खुशियों से भर दी । यहां विराजित कंकालिन देवी के आशीर्वाद से हर संकट दूर हो जाता है। हर बिगड़ी बन जाता है जो भक्त देवी को सच्चे मन से पूजते हैं माँ उन भक्तो की मुराद जरूर पूरी करते हैं। माँ अपने भक्तो के सभी कष्ट दूर कर देते हैं। इस गांव के मन्दिर से भक्त और देवी माँ के बीच आस्था और विश्वास का अनूठा बंधन देखने को मिलता है। लोगों की बढ़ती आस्था एवं मैया की महिमा से अब यहां भव्य मंदिर का निर्माण हो गया है। प्रतिदिन श्रद्धालु माता की पूजा अर्चना करने नियमित रूप से आते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां शारदीय एवं चैत्र नवरात्र दोनों में मंदिर प्रागंण में जोत जलाया व जावरा बोया जाता है। जितनी अनोखी इस मंदिर की मान्यता है। उतनी अनोखी इस मंदिर की कहानी है।
ग्राम में बैठक चल रही थी तभी गांव के बैगा स्व,फोटकाहा को देवी आई और बोलने लगा मै कंकालिन हूँ। हम तीन बहने बस्तर से वनांचल से आ रहे हैं जिसमें एक बहन कलकत्ता व दूसरी रायपुर में रुकी है। मेरी इच्छा है की मै यही रुकूं अभी मैं आपके ग्राम से लगा वनांचल में रुका हूं। आप लोग रोकना चाहते हो तो रोक लो नहीं तो मैं दूसरी जगह चला जाउंगी। जिसके बाद ग्रामीण बैठक से उठकर बैगा आज विराजमान जगह पर जाकर रुका और कहने लगा। यहाँ शांति है वन है जो मुझे अच्छी लग रही है। ऐसा कहकर बैगा रुक गया। तब से ग्रामवासी पत्थर का मन्दिर बनाकर माता की स्थापना कर पूजा अर्चना शुरू किया। वहीं अंग्रेज़ शासन काल में देवी माँ के चमत्कारों को सुनकर कर्इ बार देवी की परीक्षा ली गई। तब देवी माँ के चमत्कारों को देखकर तात्कालिक दुर्ग जिला प्रशासन ने मन्दिर को ताम्रपत्र प्रदान किया। आज भी मन्दिर में लोग देवी माँ के चमत्कारों को देखकर अपनी मनचाही मुराद पूरी करने के लिए अन्य जिले सहित दूसरे प्रदेश के भी भक्त आते हैं।
PHOTO GALLERY
kankali mata temple