Mama-Bhanja-Temple-Barsoor

Mama Bhanja Mandir Barsur यह मदिर काफी सुन्दर व अधभुद है| मगर ठीक से रखरखाव ना होने के कारण जर्जर अवस्था में है फिर भी आस पास के मदिर कि तुलना में यह मदिर ठीक है इसका श्रेय भारत के पुरातात्विक विभाग को जाता है जिसके वजह से आज वर्तमान पीढ़ी इस प्राचीन मंदिर के दर्शन कर लाभ ले रहे है|

इस मामा भांजा मंदिर को बनाने में विशेष प्रकार के बलुई पत्थरो का प्रयोग किया गया है | छत्तीसगढ़ के अधिकतर मंदिर जैसे खल्लारी का नारायण मंदिर फिंगेश्वर का फनिकेश्वर नाथ मंदिर भोरमदेव मंदिर ,जांजगीर का विष्णु मंदिर आदि मंदिर  कि बनावट एक ही प्रकार के नजर आती है| यह मंदिर काफी उची है|

इस मंदिर कि दीवारों पर कलात्मन शैल चित्रों को उकेरा गया है| जो उस समय कि अधभुद कलाकारी को आज भी दर्शाता है| मंदिर के शीर्ष के थोड़े निचे अगल – बगल में दो शिल्पकार मामा व भांजा कि मुर्तिया है| इस मंदिर परिसर पर अन्य मंदिरे भी है सभी अब भग्न अवस्था में है| शेष में देखे तो  दो प्राचीन गणेश प्रतिमा ही बची हुई है|

मामा भांजा मदिर इतिहास

वैसे यह मामा भांजा मदिर मुख्य रूप से शिव मंदिर है| मगर इस मंदिर के नाम करण के पीछे अजब गजब कथा किद्वंती सुनने को मिलती है|

स्थानीय निवासियों व कुछ इतिहास कारो के अनुसार यह बताया जाता है कि उस समय का तात्कालिक राजा परम शिव भक्त हुवा करता था तथा शिव के प्रति अपनी सच्ची आस्था स्वरुप व भगवान को प्रसन्न करने व लोक कल्याण के लिए एक ऐसा नायाब शिव मंदिर निर्माण करवाने का का स्वप्न देखा जिसे महज एक दिन में निर्माण किया जाये जिससे राजा का यश कीर्ति चारो दिशा में फैले साथ ही उसके कुल का नाम हो अपनी इसी अधूरी इच्छा को पूरी करने के लिए अपने राज्य के दो प्रसिद्ध शिल्पकार को बुलाया

(स्थानीय निवासियों के अनुसार वह  शिल्पी कार कोई आम मानव नहीं थे वह कोई देवलोक से भेजे गए कोई देव थे अथवा यक्ष गंधर्व थे| कुछ लोक तो दोनो को देव शिल्पी विश्वकर्मा के वंशज बताते है| मगर इन सबका कोई साक्ष्य प्रमाण नहीं है| )

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