रायपुर/नई दिल्ली । प्रवासी मजदूरों के लिए केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर योजना को अगले एक साल तक बढ़ाने के लिए एक याचिका के जरिये सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है।

इस योजना के तहत आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों और कर्मचारियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मुफ्त अनाज दिया जा रहा है।
हालांकि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संक्रमण और आने वाले महीनों के तीज-त्योहारों को देखते हुए इस योजना को पहले ही नवंबर अंत तक के लिए बढ़ाने की घोषणा की है।
यह याचिका हर्ष मंदार, अंजली भारद्वाज और जगदीप चोकर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। याचिका में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत प्रवासी श्रमिकों को एक साल तक मुफ्त राशन देने की योजना को जारी रखने का केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि सर्वोच्च अदालत केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दे कि राज्यों के मुख्य सचिवों के जरिये मुफ्त राशन के वितरण के लिए एक प्रणाली विकसित की जाए। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) योजना के तहत आठ करोड़ गरीब प्रवासी श्रमिकों को हर महीने मुफ्त राशन दिया जाएगा। इस राशन में हरेक व्यक्ति को पांच किलो गेहूं-चावल के साथ ही हरेक परिवार को एक किलो दाल दी जाती है। यह मुफ्त खाद्यान्न कोरोना काल में पहले केवल मई और जून के लिए घोषित की गई थी। लेकिन संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए कोई भूखा न सोए, इसलिए इस सुविधा को 8 करोड़ लोगों के लिए व्यवस्थित किया गया है।

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