Women are earning profits by manufacturing and selling organic manure in Gothan
Women are earning profits by manufacturing and selling organic manure in Gothan
जिले के 16 सक्रिय महिला हों ने किया 175 टन नाडेप कम्पोस्ट और 11 टन केंचुआ  खाद का निर्माण
धमधा ब्लॉक है केंचुआ खाद बनाने में  अग्रणी
दुर्ग जिले के 218 गौठानों में अब तक 1010 टंकियां निर्मिति
अन्य योजनाओं के तहत 653 वर्मी कम्पोस्ट टंकियां स्थापित

दुर्ग – ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य राज्य शासन द्वारा शुरू की गई नरवा गरवा घुरूवा बाड़ी योजना के परिणाम सामने आने लगे हैं। इस योजना से स्व सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही जैविक खेती का प्रचलन भी बढ़ रहा है।

गांव की महिलाएं समूह बनाकर गौठानों में स्थापित वर्मी कम्पोस्ट और नाडेप टंकियों में ऑर्गेनिक खाद का निर्माण कर रही हैं। इस खाद की बाजार में आजकल काफी मांग है। इसके अलावा गांव में स्थित बाडि़यों में भी इसी जैविक खाद की मदद से पौष्टिक सब्जियां उगाई जा रही हैं। जिले के 218 गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट की 357 और नाडेप की 653 टंकियां स्थापित की गई हैं।इन गौठानों में टंकी भरने से लेकर खाद की बिक्री का काम महिलाएं संभाल रही हैं।  कृषि विभाग द्वारा आत्मा योजना के तहत पहले महिलाओं को खाद बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद जिले के 16 महिला स्व सहायता समूहों ने खाद बनाने का काम कर रहे  है। दुर्ग ब्लॉक् में 2 महिला समूहों ने

8 क्विंटल  कम्पोस्ट खाद(नाडेप) पाटन ब्लॉक के 11 समूहों ने 160 क्विंटल कम्पोस्ट खाद तथा धमधा ब्लॉक के 3 समूहों ने 7 क्विंटल नाडेप कम्पोस्ट खाद और 11 क्विंटल  वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया है।इस प्रकार कुल 175 क्विंटल नाडेप कम्पोस्ट और  11 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण किया जा चुका है।

 पाटन और धमधा के महिला समूह खाद बेचकर कमा रहे अच्छा मुनाफा

पाटन और धमधा ब्लॉक की महिलाओं ने खाद बेचने का काम शुरू भी कर दिया है।यह खाद  हाथों हाथ बिक रही है ।गांव के अलावा आस पास के बाजार में भी अच्छा दाम मिलने लगा है। पाटन ब्लॉक के पाहन्दा में महिला स्व सहायता समूहों द्वारा अब तक 80  क्विंटल  नाडेप कम्पोस्ट खाद बेचा जा चुका है। वहीं धमधा के समूहों ने 7 क्विंटल नाडेप कम्पोस्ट और 8 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का विक्रय किया है। नाडेप टंकी में निर्मित कम्पोस्ट खाद के लिए प्रति किलोग्राम 3 से 5  रुपए और वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद) के लिए प्रति किलोग्राम 7से 10 रुपए का दाम मिल रहा है।

दूसरे चरण का उत्पादन लेने भरी जा रही हैं टंकियां

सभी वर्मी कम्पोस्ट और नाडेप टंकियों से खाद निकालने के बाद दूसरे चरण का उत्पादन लेने की तैयारी शुरू हो गई है। टंकियों को गोबर एवं दूसरे कृषि अवशेषों से भरने की प्रक्रिया शुरू ही गई है। लगभग 653 टंकियों में से अब तक 100 नाडेप और 357 में से  30 केंचुआ खाद की टंकियां भरी जा चुकी हैं। शेष टंकियां भरने बक काम लगातार जारी है। टंकी भरने के बाद 45 से 60 दिनों के अंदर खाद बनकर तैयार हो जाती है। इस बार धमधा के अलावा अन्य विकासखंड भी केंचुआ खाद बनाने की तैयारी में हैं।

गौठान के अलावा जिले में विभिन्न योजनाओं के तहत  653 वर्मी कम्पोस्ट टंकियां स्थापित

कुछ महिला समूहों द्वारा औसतन 2 से 3 टन वर्मी कम्पोस्ट का किया जा रहा निर्माण

जिले में  गौठान के अलावा भी करीब 653 वर्मी कम्पोस्ट की टंकियां विभिन्न योजनाओं के तहत स्थापित की गई हैं।राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 123, परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत 500, जैविक खेती विकास योजना के तहत 30 वर्मी कम्पोस्ट टंकियां स्थापित की गई है। अपनी मेहनत से कई समूह भारी मात्रा में उत्पादन भी ले रहे हैं। दुर्ग विकासखंड के पुरई में जनजागृति आत्मा समूह,कोटमी में गायत्री जैविक खेती आत्मा समूह और नगपुरा के जय सतनाम समूह द्वारा औसत रूप से 2 से 3 टन का वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाया जा रहा है।

किसान अपने खेतों के लिए बना रहे वर्मी कम्पोस्ट

जैविक खेती के प्रति किसानों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। किसान खुद भी वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाकर अपने खेतों में इस्तेमाल कर रहे हैं।पाटन विकासखंड ग्राम सोनपुर के किसान जुगनू ठाकुर,अरसनारा के नंदकुमार साहू,गुरुदेव साहू,धमधा के विश्राम पटेल ,टेमरी के योगेश साहू वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन कर अपने खेतों में उपयोग कर रहे हैं।