रायपुर – मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन ने आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में कृषि विभाग द्वारा संचालित गोधन न्याय योजना, गौठान और बाड़ी कार्यक्रम के विषय में जानकारी ली। मुख्य सचिव ने गौठानों को आदर्श केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए निश्चित मापदण्ड वाले प्रारूप और समय-सीमा का निर्धारण करने के निर्देश दिए है, जिसके आधार पर जिलेवार गौठानों की समीक्षा की जा सकेगी। बैठक में राज्य के गौठानों में पैरा दान के माध्यम से पशुओं के लिए चारा प्राप्ति की जानकारी संकलित करने के निर्देश दिए गए हैं।

श्री जैन ने गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से निर्मित वर्मी कम्पोस्ट की मात्रा, उसकी बिक्री और प्राप्त राशि का समूहों को वितरण की विस्तृत जानकारी संकलित करने के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा है कि राज्य के गौठानों की जियोटेगिंग की प्रक्रिया जल्द प्रारंभ किए जाएंगे। इसके लिए सभी जरूरी कार्यवाही सुनिश्चित कर लिए जाए। गौठान समिति द्वारा निर्मित वर्मी कम्पोस्ट (गोबर खाद) की बिक्री के लिए एक निश्चित दर का निर्धारण करने और केबिनेट की बैठक में उसका अनुमोदन कराने के निर्देश मुख्य सचिव ने दिए है। श्री जैन ने व्यक्तिगत और सामुदायिक बाड़ियों में उपजे फल, सब्जी आदि का उपयोग स्कूल, आश्रम, आंगनबाड़ी केन्द्र, जेल, छात्रावास आदि में सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए है। 

कृषि विभाग की सचिव डॉ. एम. गीता ने बैठक में जानकारी दी कि राज्य में 30 नवम्बर 2020 की स्थिति में कुल 6377 गौठान बनाए गए है। गोबर खरीदी के लिए कुल 2 लाख 14 हजार 201 पशुपालकों का पंजीयन किया गया है। 30 नवम्बर 2020 तक की स्थिति में इन पशुपालकों से कुल 29 लाख 53 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की गयी है और 59 करोड़ 8 लाख रूपए की राशि का वितरण इन पशुपालकों को किश्तों में किया जा रहा है। राज्यभर में निर्मित 49 हजार 564 वर्मी कम्पोस्ट टांकों में 14 हजार 398 क्विंटल खाद का निर्माण किया जा चुका है। उद्यानिकी, कृषि, वन, नगरीय प्रशासन, कृषकों द्वारा गौठान समिति में निर्मित गोबर खाद की खरीदी की जा रही है। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है।

राज्य के गौठानों में अब तक 39 हजार 449 क्विंटल चारा पैरा दान के माध्यम से प्राप्त हुआ है। इसी तरह 1229 गौठानों में अब तक 3429 किलोग्राम अजोला का उत्पादन किया जा चुका है। राज्य के सभी गौठानों में पशुओं के लिए प्रोटीन युक्त चारा अजोला उत्पादन का कार्य किया जाना है। डॉ. गीता ने बताया कि राज्य में अब तक दो लाख से अधिक बाड़ियों में उत्पादन के लिए आम, अमरूद, केला, पपीता, नीबू, भिण्डी, बरबट्टी, खट्टा भाजी, खेडा भाजी, कांदा भाजी, जिमीकंद, लौकी, मुनगा आदि के बीज का वितरण किया गया है। बाड़ियों से उत्पादन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में एक लाख नवीन बाड़ियों को उत्पादन योग्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। बैठक में कृषि विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।