Narmada Kund

Narmada Kund यह प्राकृतिक जल स्त्रोत (जल कुंड) है । मराठा कालीन पंचायतन शैली का मंदिर है ।

जिला मुख्यालय से 66 किमी दूर राजनांदगांव-कवर्धा मार्ग पर बसे तीर्थ को लेकर जनमानस में किस्से कहानियों व मान्यताओं की लंबी फहरिस्त मौजूद है। मराठाकाल में निर्मित नर्मदा मंदिर में कल्चुरी कालीन, देवी-देवताओं की मूर्तियां व्यवस्थित तरीके से स्थापित हैं। 
कुंड से मां नर्मदा की अविरल गर्म जलधारा निकलती है। दर्शन पूर्व इसमें स्नान कर श्रद्धालु पुण्य लाभ कमाते हैं। हर साल माघ पूर्णिमा के अवसर पर यहां आयोजित भव्य मेले मे मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के हजारों श्रद्धालु आते हैं। नर्मदा के आसपास पर्यटन के दृष्टिकोण से डोंगरेश्वर महादेव व मंडीप खोल गुफा स्थित है। नर्मदा दर्शन के बाद श्रद्धालु इन पर्यटन स्थलों के प्राकृतिक नजारों का लुत्फ उठाते हैं। 

रियासतकाल में खैरागढ़ मे निवास करने वाले तपस्वी रूक्खड़ स्वामी नर्मदा स्नान के लिए रोजाना अमरकंटक जाते थे। बाबा की भक्ति से प्रभावित मां नर्मदा ने बाबा को आर्शीवाद दिया कि मैं तुम्हारे निवास स्थान में अविरल रू प में प्रकट होउंगी। कथानक के अनुसार साधारण स्त्री का रू प लेकर अमरकंटक से प्रस्थित हुई नर्मदा ग्राम – खैरा के समीप पह़ुंचकर एक चरवाहे से पूछा कि ये कौन सा गांव है। चरवाहे के खैरा बताने पर गलती से मां वर्तमान स्थल में गर्म जलधारा के रू प में अवतरित हुई व देवी रूप में स्थापित हुईं। 
बताया जाता है कि मां नर्मदा की अविरल गर्म जलधारा में स्नान व पूजन के बाद खैरागढ़ स्थित रूक्खड़ स्वामी मंदिर के दर्शन से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

राजनांदगांव शहर से दूरी – 62 किलोमीटर