चाहे कितना भी दिन लगे साहब, हम पैदल ही जाएंगे घर

लॉकडाउन ने उन मजदूरों की चिंताएं बढ़ा दी हैं, जो घर से दूर अपनी रोजी-रोटी के लिए हजारों किलोमीटर दूर गए थे। लेकिन लॉकडाउन के लगते ही उनके वापसी के सारे रास्ते बंद हो गए और रह गई तो सिर्फ लाचारी और बेबसी। हालांकि इस बीच राज्य सरकार ने मई महीने से मजदूरों के लिए विशेष ट्रेनों का इंतजाम किया और ट्रेनें भी आने लगी हैं। इस बीच कई जगहों के मजदूर ऐसे हैं, जिनकी जुबां पर एक ही आवाज है- चाहे कितना भी दिन लगे साहब, हम पैदल ही जाएंगे घर वापस।
ऐसे ही 14 मजदूरों की दास्तां है ये। झारखंड पलामू जिला के रहने वाले 14 मजदूर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में काम करने गए हुए थे। लॉक डाउन लगने के बाद यह मजदूर वहां फंस कर रह गए। किसी प्रकार इन्होंने 45 दिन लाक डाउन के निकाले अब इन मजदूरों को पता चल चुका है कि लॉक डाउन और बढऩे वाला है, जिसको लेकर मजदूर पैदल विजयवाड़ा से झारखंड के लिए निकल चुके हैं। विजयवाड़ा से चलते हुए जगदलपुर पहुंचकर यहां से झारखंड अपने गांव जाने के लिए 14 मजदूर पैदल सफर कर रहे हैं। इन मजदूरों का कहना है कि खाने पीने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं है सरकार यदि मदद कर दे तो हम उनका शुक्रिया अदा करेंगे नहीं तो कितने भी दिन लग जाएं हम पैदल चलकर अपने घर पहुंच ही जाएंगे।

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